गुरुवार, 22 अप्रैल 2010

नेहा शरद ने संग्रहालय को दी शरद जोशी की अनमोल धरोहर

भोपाल। 30 मार्च को अल्प प्रवास पर अचानक भोपाल आईं सुश्री नेहा शरद ने पाण्डुलिपि संग्रहालय को अनमोल धरोहर सौंपी, जिससे संग्रहालय परिषद अभिभूत है। अल्प प्रवास पर भोपाल आई नेहा शरद ने संग्रहालय निदेशक राजुरकर राज को अपने भोपाल आने की सूचना दी और यह भी इच्छा जताई कि उन्हें संग्रहालय पहुँचना है। संग्रहालय पहुँचकर नेहा जी ने स्व. शरद जोशी का बहुचर्चित नाटक ‘अंधों का हाथी’ की 67 पृष्ठों की हस्तलिखित मूल पाण्डुलिपि, शरद जी की एक हस्तलिखित कविता, उनका रेखा चित्र और कुछ पुस्तकें संग्रहालय को भेंट की। संग्रहालय निदेशक ने अनमोल विरासत को माथे से लगाकर स्वीकार किया और सुरक्षित सहेजने का वचन दिया। नेहा शरद ने संग्रहालय के लिये अनमोल धरोहर सौंपते हुए विश्वास जताया कि यह धरोहर न केवल यहां सुरक्षित रखी जायेगी, बल्कि शाधार्थी और जिज्ञासु इसका सदुपयोग भी कर सकेंगेे। उन्होंने संग्रहालय निदेशक को सलाह दी कि देश के नामचीन साहित्यकारों के परिवारों से सम्पर्क कर उनकी अनमोल विरासत को संग्रहालय के लिये प्राप्त करने का प्रयत्न करें। इस अवसर पर समाजसेविका साधना कार्णिक और संग्रहालय की सहायक निदेशक प्रबन्ध संगीता राजुरकर भी उपस्थित थी।
सुश्री नेहा शरद ने भावुक होकर कहा कि जिस घर में हम ‘पप्पा’ के साथ रहते थे, उस पर बुलडोज़र चलता देखने के बाद इस तरफ आने से भी दिल बैठने लगता था, लेकिन अब इस संग्रहालय की स्थापना और उसकी गतिविधियों से आश्वस्ति होती है कि हमारे पूर्वजों की धरोहर सुरक्षित रह सकेगी।

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