बुधवार, 14 अक्तूबर 2009

उपन्यासकार आर.के.नारायण पर डाक टिकट जारी

बेंगलूरू। मुख्य डाकघर में उपन्यासकार आर.के.नारायण की स्मृति में डाक टिकट जारी किया गया। समारोह में अभिनेत्री अरुंधति नाग ने कहा कि आर.के. नारायण ने ‘मालगुडी डेज’ उपन्यास में ऐसे गांव की सृष्टि की थी, जहां के लोग गरीब होने के बावजूद जीने का आनन्द लूटते थे।
सुखी होने के लिए सम्पन्न होना अनिवार्य नहीं। इस बात को आर.के.नारायण ने उपन्यास में बखूबी चित्रित किया था। उन्होंने कहा कि उपन्यास पर दूरदर्शन में धारावाहिक प्रसारित किया गया था। इसके निर्देशन का दायित्व मिलने पर उनके पति अभिनेता शंकर नाग फूले नहीं समाए थे। ऐसे लेखक की स्मृति में डाक विभाग ने टिकट जारी कर उनको सम्मानित किया है। धारावाहिक में स्वामी का रोल निभाने वाले बाल कलाकार मंजूनाथ नायकर ने कहा कि उनको कन्नड़ फिल्मों व दूरदर्शन धारावाहिकों की भूमिकाओं के लिए अब भी याद किया जाता है। इसका श्रेय दिवंगत अभिनेता शंकर नाग को है। लेखक व चिंतक मत्तूर कृष्णमूर्ति ने कहा कि डाक विभाग ने नारायण पर टिकट जारी करके उन्हें इतिहास के पन्नों में अमर कर दिया। चीफ पोस्ट मास्टर जनरल आरपी राजन ने कहा कि डाक विभाग ने आर.के. नारायण के पांच रुपए मूल्य के चार मिलियन टिकटों का मुद्रण किया है।
‘पत्रिका’ में छपा

दुष्यन्त संग्रहालय में रखी जायेगी राष्ट्रकवि की दरी


भोपाल। देने में जो आनंद है, वो पाने में कहाँ? जीवन का यह विशिष्ट ज्ञान कई लोगों ने सहज ही प्राप्त कर लिया। पूरे एक हफ्ते चले जाॅय आॅफ गिविंग अभियान में लोगों ने अनुपयोगी सामान दे कर कई जरूरतमंदों को खुश होने की वजह दे दी। इस अभियान के तहत खंडवा में दादा माखनलाल चतुर्वेदी की वह दरी भी मिली, जिसका उन्होंने बरसों उपयोग किया था।
यह जानकारी संस्था गंूँज के ‘जाॅय आॅफ गिविंग वीक’ का संचालन करने वाली संस्थाओं स्पंदन, अहम भूमिका और विकास संवाद के सदस्यों प्रकाश, सीमा, सुब्रत गोस्वामी, योगेश वैद्य, सचिन और रश्मि जैन ने दी। चर्चा के दौरान सभी ने इस सप्ताह के दौरान मिले अनुभवों को साझा किया। स्पन्दन के प्रकाश ने बताया कि खंडवा में एक युवती निलोफर की पहल के बाद मुस्लिम परिवारों ने 150 ड्रेसेज को धोकर व प्रेसकर संस्था को एक विशिष्ट दरी भी मिली। यह दादा माखनलाल चतुर्वेदी के भतीजे प्रमोद चतुर्वेदी ने दी है। यह दरी माखनलालजी ने बरसों उपयोग की। इसी दरी पर उनके साथ कई बड़े नेता और संगीतकारों की बैठकें हुई हैं। संस्था इस दरी को दुष्यन्त कुमार पाण्डुलिपि संग्रहालय को भेंट करेगी।
समाचार पत्रों में छपा