मंगलवार, 29 सितंबर 2009

दुष्यन्त कुमार पर डाक टिकट जारी






मध्यप्रदेश के राज्यपाल महामहिम रामेश्वर ठाकुर ने 27 सितम्बर 2009 को हिन्दी के प्रथम ग़ज़लकार दुष्यन्त कुमार पर स्मारक डाक टिकट का लोकार्पण किया।
इस अवसर पर आयोजित समारोह में बोलते हुए राज्यपाल ने दुष्यन्त कुमार की कविताओं और ग़ज़लों को आम लोगों की अभिव्यक्ति बताते हुए उन्हें एक महान कवि, शायर के रूप में याद किया। ‘दुष्यन्त रचनावली’ के सम्पादक डाॅ. विजय बहादुर सिंह ने 1974-’75 के राजनैतिक घटनाक्रम को याद करते हुए उस दौर में दुष्यन्त के मुखर अन्दाज़ की चर्चा की। राज्यपाल ने स्मारक डाकटिकट जब दुष्यन्त कुमार की पत्नी राजेश्वरी दुष्यन्त कुमार को सौंपा, तब तालियों की गड़गड़ाहट से सभागार गूँज उठा। इस विशेष डाक टिकट के मूल प्रस्तावक एवं प्रसिद्ध लेखक स्तम्भकार तथा समीक्षक राजीव श्रीवास्तव ने इस दिशा में किये गये अपने तीन साल के प्रयासों का ज़िक्र करते हुए कहा कि यह प्रस्ताव सरकार के पास 2006 में भेजा गया था। इसके पूर्व कथाकार कमलेश्वर के सुझाव पर उन्होंने नागार्जुन, धर्मवीर भारती, फणीश्वरनाथ रेणु और मोहन राकेश पर डाक टिकट का प्रस्ताव भेजा था, जो अभी भी विचाराधीन है।
दुष्यन्त कुमार के बेहद करीबी रहे उनके मित्र एवं सुप्रसिद्ध शिक्षाविद् और लेखक डाॅ. धनंजय वर्मा ने अपने सम्बोधन में दुष्यन्त की रचनाओं को साहस और हौसले की अपूर्व मिसाल बताते हुए उन्हें सही अर्थों में आम जनमानस का शायर बताया।
धन्यवाद ज्ञापन देते हुए दुष्यन्त कुमार के पुत्र आलोक त्यागी ने सभी का हृदय से आभार व्यक्त किया। विशेष रूप से उन्होंने राजीव श्रीवास्तव के अथक प्रयासों का ज़िक्र करते हुए उनको परिवार की तरफ से हार्दिक धन्यवाद दिया। साथ ही अपने विशेष उल्लेख में उन्होंने भोपाल में ‘दुष्यन्त कुमार मार्ग’ के मूल प्रस्तावक सोहागपुर के नीलम तिवारी का आभार व्यक्त किया तथा दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय के निदेशक राजुरकर राज द्वारा किये जा रहे उल्लेखनीय कार्यों की भी प्रशंसा की। विजयदत्त श्रीधर के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने समारोह में आये सभी लोगों को धन्यवाद दिया।
सोसायटी आॅफ म्यूज़िक, इन्नोवेटिव लिट्रेचर एण्ड इमोशंस (स्माइल), नई दिल्ली तथा सप्रे संग्रहालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस समारोह में डाक विभाग के मध्यप्रदेश डाक परिमण्डल के मुख्य पोस्टमास्टर जनरल, वरिष्ठ अधिकारीगण सहित शहर के गणमान्य व्यक्तियों तथा नई दिल्ली, मुम्बई एवं दूरदराज से भी बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे। स्मारक डाकटिकट का यह दिन दुष्यन्त कुमार के चाहने वालों को उनके जन्मदिवस के रूप में सदैव याद रहेगा।

प्रस्तुति: संगीता राजुरकर
सहायक निदेशक