सोमवार, 16 फ़रवरी 2009

सुदीप जी की कविता का अनावरण


भोपाल। अपनी कई भूमिकाओं के जरिये राजधानी से जुड़े रहे संस्कृतिकमीZ स्व. सुदीप बनर्जी सोमवार 16 फरवरी की शाम नये तरीके से शहर से मुखातिब हुये। इस बार दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय ने अपनी भित्ती पत्रिका पर स्व. सुदीप जी की अप्रकाशित कविता लगाई। भित्ती पत्रिका पर सुदीप जी की कविता का अनावरण समकालीन कविता के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर श्री लीलाधर मंडलोई ने किया। श्री मंडलोई ने अनावरण करते हुये कविता की मूल हस्तलिखित प्रति संग्रहालय को भेंट की। संग्रहालय के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने इसके निरन्तर बेहतरी की कामना की। उल्लेखनीय है कि श्री मंडलाई संग्रहालय की प्रवर परिषद के वरिष्ठ सदस्य भी है। समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि श्री भगवत रावत ने की एवं विशेष अतिथि के रूप में श्री वीरेन्द्र कुमार बाथम उपस्थित थे। अध्यक्षता कर रहे श्री भगवत रावत ने श्री बनर्जी के व्यक्तित्व और कृतित्व के विभन्न पहलुओं पर चर्चा की। उन्होंने उनकी भाषा वैशिष्ट्य का खास तौर पर उल्लेख किया। इस अवसर पर श्री शैलेन्द्र शैली, श्री मुकेश वर्मा, श्री नवल शुक्ल, श्री बलराम गुमास्ता, श्री राग तेलंग आदि भी सुदीप जी पर अपने विचार रखे। श्री मंडलोई ने अपने वक्तव्य में इस बात का खास तौर पर उल्लेख किया कि श्री बनर्जी भोपाल को अपना सांस्कृतिक घर मानते थे। उन्होंने यह भी बताया कि श्री बनर्जी ने समकालीन भारतीय व्यवस्था में भी प्रशासनिक तौर पर महत्वपूर्ण काम किये। एक वरिष्ठ राजनेता के हवाले से उन्होंने बताया कि श्री बनर्जी ने पंजाब समस्या, एंडरसन की गिरफ्तारी, मलखान सिंह औ फूलनदेवी के आत्मसमर्पण जैसे मुद्दों पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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