शनिवार, 27 फ़रवरी 2010
‘पाठ परम्परा’ में मनोज सिंह ने किया कहानीपाठ
‘बिना टिकट’ अतीत का सफर
भोपाल। दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय द्वारा आयोजित ‘पाठ परम्परा’ में चण्डीगढ़ निवासी श्री मनोज सिंह ने कहानी पाठ किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता अमरावती में हिन्दी विभाग की अध्यक्ष डाॅ. ज्येाति व्यास ने की।
श्री मनोज सिंह की कहानी ‘बिना टिकट’ अतीत की स्मृतियों के साथ जोड़ती है। भोपाल के एम.ए.सी.टी मंे इंजीनियरिंग के विद्यार्थी रहे श्री मनोज सिंह की यह कहानी एक तरह से अतीत की यादों का स्पर्श कर रही थी। अपने समकालीन मित्रों की उपस्थिति में कहानी पाठ करते हुए श्री सिंह ने इसे अविस्मरणीय प्रसंग माना। पाण्डुलिपि संग्रहालय के प्रयासों पर टिप्पणी करते हुए श्री सिंह ने कहा कि ‘यह संग्रहालय साहित्यकारों का धाम बन चुका है।’
आरम्भ में ‘पाठ परम्परा’ और श्री मनोज सिंह का उल्लेख करते हुए संग्रहालय के निदेशक राजुरकर राज ने अन्य गतिविधियों पर प्रकाश डाला। कहानी ‘बिना टिकट’ पर वरिष्ठ पत्रकार श्री दिनेश वर्मा, श्री अमोघ गुप्ता, नीलारुण शर्मा, श्री आॅस्कर एंजिल एवं डाॅ. ज्योति व्यास आदि ने विचार व्यक्त किये। स्वागत वक्तव्य श्री राजेन्द्र जोशी ने दिया और आभार संग्रहालय के उपाध्यक्ष श्री शिवकुमार अर्चन ने व्यक्त किया।
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