दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय का छै दिवसीय स्थापना समारोह 30 दिसम्बर 2008 से 4 जनवरी 2009 तक सम्पन्न हुआ। संग्रहालय परिसर में आयोजित इस समारोह में प्रतिदिन विभिन्न कार्यक्रम सम्पन्न हुये। समारोह का आरम्भ 30 दिसम्बर 2008 को वरली शैली की सुविख्यात चित्रकार सुश्री बबीता बी। की चित्र प्रदर्शनी के उद्घाटन से हुआ। समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार, मध्यप्रदेश के सूचना आयुक्त एवं पूर्व पुलिस महानिदेशक श्री दिनेश जुगरान थे। अध्यक्षता सुविख्यात आलोचक एवं मध्यप्रदेश कला अकादमी के पूर्व निदेशक प्रो. कमला प्रसाद ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में शिखर सम्मान से विभूषित साहित्यकार एवं मध्यप्रदेश विधानसभा के प्रमुख सचिव डॉ. आनन्द पयासी और मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम के प्रबन्ध निदेशक श्री अश्विनी लोहानी थे। सुश्री बबीता बी. की वरली शैली में चित्र प्रदर्शनी का उद्घाटन करने के पश्चात मुख्य समारोह में संग्रहालय द्वारा घोषित पुरस्कार प्रदान किये गये। धर्मवीर भारती पुरस्कार जयपुर से श्री यशवन्त व्यास द्वारा सम्पादित `अहा ज़िन्दगी´ को प्रदान किया गया। उनकी ओर से यह पुरस्कार दैनिक भास्कर के सम्पादक श्री अभिलाष खाण्डेकर ने प्राप्त किया। `देशान्तर भाषा सेवा पुरस्कार´ से सम्पादक श्री राकेश पाण्डेय को दिल्ली से प्रकाशित पत्रिका `प्रवासी संसार´ के लिए सम्मानित किया। श्री सन्तोष चौबे द्वारा सम्पादित `इलेक्टॉनिकी आपके लिए´ का `भारतेन्दु पुरस्कार´ श्रीमती वीनिता चौबे ने प्राप्त किया। हैदराबाद से एन.एम.डी.सी. की प्रकाशित पत्रिका `खनिज भारती´ के सम्पादक श्री विजय कुमार को `गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार´ एवं बैंक ऑफ महाराष्ट के सहायक महाप्रबन्धक श्री इन्द्रजीत सिदाना को हिन्दी में उत्कृष्ट कायोZ के लिए `भाषा भारती पुरस्कार´ से सम्मानित किया गया। `कमलेश्वर पुरस्कार´ के लिए दिल्ली के भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित `नया ज्ञानोदय´ को चुना गया। श्री कालिया की ओर से यह पुरस्कार, समारोह के संयोजक डॉ. बाबूराव गुजरे ने स्वीकार किया, जो निकट भविष्य में श्री कालिया को दिल्ली में प्रदान किया जायेगा। 31 दिसम्बर को संग्रहालय परिसर में वरली चित्र कार्यशाला का शुभारम्भ हुआ, जिसका उद्घाटन पद्मश्री से सम्मानित सुविख्यात छायाचित्रकार श्री वामन ठाकरे ने किया। कार्यशाला के संयोजक श्री महेश सक्सेना ने इस अभिनव प्रयास की रूपरेखा पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इस कार्यशाला में लगभग 160 प्रतिभागी शामिल हैं, जिनमें बच्चों के साथ ही गृहिणियां और कुछ बुजुर्ग भी शामिल हैं। इसके साथ ही बालिका सुधार गृह की 48 छात्राओं को सुधार गृह में ही उपस्थित होकर सुश्री बबीता चित्रकारी सिखायेंगी। सुश्री बबीता ने चार दिनों तक प्रतिदिन दो सौ से अधिक प्रतिभागियों को मनोयोग एवं रोचक ढंग से वरली शैली में चित्र बनाना सिखाया। नववर्ष के आरम्भ में एक जनवरी को समारोह का तीसरा दिन समर्पित था गीतकार स्वर्गीय श्री राजेन्द्र अनुरागी की स्मृति को। 14 फुट उंची और 6 फुट चौड़ी भित्ती पत्रिका `बयान´ पर उनकी कविता का अनावरण उनकी धर्मपत्नी श्रीमती विजया अनुरागी ने किया। उनकी स्मृति को समर्पित कवि गोष्ठी का संचालन सुधा रावत `क्षमा´ ने किया। आरम्भ में श्री अनुरागी के सुपुत्र श्री अमिताभ अनुरागी ने अपने पिता की रचनाओं का पाठ किया। कवि गोष्ठी में नगर के वरिष्ठ और कनिष्ठ पीढ़ी के कवियों ने रचनाओं का पाठ किया। दो जनवरी को दुष्यन्त कुमार पर एकाग्र पुस्तक `एक आवाज़ : सबसे अलग´ का लोकार्पण हुआ। सुविख्यात आलोचक डॉ. धनंजय वर्मा द्वारा दुष्यन्त कुमार पर केिन्द्रत आलेखों का यह संग्रह नरसिंहपुर के प्रस्तुति प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया है। डॉ. धनंजय वर्मा ने अपनी इस पुस्तक का लोकार्पण अपनी विद्यार्थी श्रीमती ममता त्यागी से करवाया। उल्लेखनीय है कि श्रीमती ममता त्यागी सुविख्यात कथाकार श्री कमलेश्वर की सुपुत्री और दुष्यन्त कुमार की पुत्रवधू हैं। अध्यक्षता श्रीमती राजेश्वरी त्यागी ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री विजय कुमार देव और श्री लक्ष्मीनारायण पयोधि उपस्थित थे। तीन जनवरी को संग्रहालय परिसर में बच्चों की भारी चहल-पहल थी। तीन दिनों से जो विद्यार्थी वरली पेंटिंग का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे थे, उनके लिए कैनवास के रूप में संग्रहालय की लगभग चालीस फुट लम्बी दीवार उपलब्ध थी। डेढ़ सौ से अधिक बच्चों ने इस दीवार पर चित्रांकन किया। इन बच्चों में बालिका सुधार गृह की पांच बालिकायें भी शामिल थीं। शहर के लिए यह एक अभिनव प्रयोग था। कमलेश्वर की जयन्ती के सन्दर्भ में शाम को सभागार में कमलेश्वर पर केिन्द्रत फिल्म का प्रदर्शन किया गया। यह फिल्म दिल्ली की साहित्य अकादमी द्वारा सतीश गर्ग के निर्देशन में तैयार की गई है। फिल्म प्रदर्शन के बाद श्री आलोक त्यागी सहित अनेक लोगों ने अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर संग्रहालय निदेशक राजुरकर राज ने घोषणा की कि संग्रहालय शीघ्र ही दुष्यन्त कुमार पर एक वृत्तचित्र तैयार करेगा, जिस पर उपस्थित लोगों ने प्रसन्नता व्यक्त की और सहयोग का आश्वासन दिया। समारोह के अन्तिम दिन चार जनवरी को समारोह के मुख्य अतिथि भोपाल के महापौर श्री सुनील सूद थे। अध्यक्षता श्री राजेन्द्र जोशी ने की। विशेष अतिथि के रूप में वरली चित्र विशेषज्ञ सुश्री बबीता बी. उपस्थित थी। श्री सूद ने कार्यशाला के प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र वितरित किये। श्री सूद ने संग्रहालय के अभिनव प्रयासों की प्रशंसा की।
प्रस्तुति : संगीता राजुरकर
सोमवार, 12 जनवरी 2009
संग्रहालय का स्थापना दिवस
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें